आपने कई मशहूर अशआर सुने या पढ़े होंगे, जो ज़र्ब-उल-मसल बन चुके हैं। इनमें से कई आपको याद भी होंगे, लेकिन इन्हें एक जगह देखने का आनंद अलग ही होगा।
ये मत समझ कि मैं तेरी नज़रों के क़ाबिल नहीं,
बस मेरा शौक़ देख, मेरा इंतज़ार देख।
मोहब्बत के अलावा भी इस दुनिया में कई दर्द हैं,
वस्ल की राहत के सिवा भी कुछ राहतें हैं।
हमें जन्नत की हक़ीक़त मालूम है,
मगर दिल बहलाने को ये ख़याल अच्छा है।
दिल नाउम्मीद नहीं, बस नाकाम ही तो है,
ग़म की शाम लंबी सही, मगर शाम ही तो है।
अगर कोई अफ़साना अंजाम तक न पहुँच सके,
तो उसे एक हसीन मोड़ देकर छोड़ देना बेहतर है।
मैं अकेला ही मंज़िल की ओर चला था,
लोग जुड़ते गए और कारवाँ बनता गया।
गुलिस्ताँ को बर्बाद करने के लिए बस एक उल्लू काफ़ी था,
अब हर शाख़ पर उल्लू बैठा है, अंजाम क्या होगा?
यादों की रौशनी को मेरे साथ रहने दो,
न जाने कब ज़िंदगी की शाम हो जाए।
हम आह भी करें तो बदनाम होते हैं,
वो क़त्ल भी करें तो चर्चा नहीं होती।
ख़ुद को इतना बुलंद कर कि तक़दीर से पहले,
ख़ुदा तुझसे पूछे—बता, तेरी रज़ा क्या है?
इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया,
वरना हम भी किसी काम के आदमी थे।
इश्क़ आसान नहीं, बस इतना समझ लो,
ये आग का दरिया है, और डूबकर पार जाना है।
उम्र दराज़ माँगी थी, मिली सिर्फ़ चार दिन,
दो आरज़ू में कट गए, दो इंतज़ार में।
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पर रोती है,
तब कहीं जाकर चमन में कोई दीदावर पैदा होता है।
रंजिश ही सही, दिल दुखाने के लिए आ,
फिर से मुझे छोड़ जाने के लिए आ।
ग़म-ए-जहाँ का हिसाब कर रहा था,
आज तुम बे-हिसाब याद आए।
इधर-उधर की बातें छोड़, ये बता क़ाफ़िले क्यों लुटे?
हमें रहज़नों से नहीं, तेरी रहबरी से ग़रज़ है।
किसी को घर से निकलते ही मंज़िल मिल गई,
कोई हमारी तरह सारी उम्र सफ़र में ही रहा।
मोहब्बत में जीने और मरने में कोई फ़र्क़ नहीं,
हम उसी की याद में जीते हैं, जिस पर दम निकलता है।
उसकी याद आई है, साँसों ज़रा आहिस्ता चलो,
धड़कनों से इबादत में ख़लल पड़ता है।
बिछड़ने का अंदाज़ कुछ ऐसा था,
एक शख़्स ने पूरे शहर को वीरान कर दिया।
कई दिनों से तेरी याद भी नहीं आई,
पर तुझे भुला दिया हो, ऐसा भी नहीं।
बैठे-बैठे गुम हो जाता हूँ,
अब मैं अक्सर मैं नहीं, तुम हो जाता हूँ।
इस सादगी पर कौन न मर जाए, ऐ ख़ुदा,
लड़ते भी हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।
कुछ मजबूरियाँ रही होंगी,
यूँ ही कोई बेवफ़ा नहीं होता।
होश वालों को ख़बर क्या कि बेख़ुदी क्या होती है,
इश्क़ करो, फिर समझोगे कि ज़िंदगी क्या होती है।
दरिया के शोर से समुंदर की ख़ामोशी कह रही है,
जिसका जितना ज़र्फ़ होता है, वो उतना ही ख़ामोश होता है।
मेरे क़त्ल के बाद उसने जफ़ा से तौबा कर ली,
हाय, उस जल्द-पशेमान का पशेमान होना।
दुनिया की सैर कर ले, ऐ ग़ाफ़िल,
ज़िंदगी रही तो जवानी फिर कहाँ मिलेगी?
अगर इन पत्थरों पर चल सको तो आना,
मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है।
सितारों से आगे भी जहाँ मौजूद हैं,
इश्क़ के इम्तिहान अभी और भी हैं।
न जी भर के देखा, न कुछ बात की,
कितनी आरज़ू थी मुलाक़ात की।
अब अगर बिछड़े, तो शायद ख्वाबों में मिलें,
जैसे सूखे हुए फूल किताबों में मिलते हैं।
हज़ारों ख़्वाहिशें थीं, हर ख़्वाहिश पर दम निकलता,
बहुत कुछ चाहा था, मगर फिर भी कम निकला।
ज़ाहिद, मस्जिद में बैठकर शराब पीने दे,
या वो जगह बता जहाँ खुदा न हो।
हम मानते हैं कि तग़ाफ़ुल न करोगे,
मगर हम ख़ाक हो जाएँगे, जब तक तुम्हें ख़बर होगी।
जो मेरे चेहरे से ज़ाहिर है, उसे कैसे छुपाऊँ?
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र कैसे आऊँ?
जब कोई और नहीं होता,
तब तुम मेरे पास होते हो।
तारीख़ ने ये ज़ुल्म भी देखा है,
लम्हों ने ख़ता की, सदियों ने सज़ा पाई।
जहाँ रहेगा, वहीं रौशनी लुटाएगा,
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता।
Frequently Asked Question
What is Shayari?
Shayari is a form of Urdu and Persian poetry that expresses emotions such as love, sorrow, longing, and beauty. It is often written in rhyming couplets and follows traditional poetic meters.
Who are some of the most famous poets of Shayari?
Some of the legendary poets include Mirza Ghalib, Allama Iqbal, Faiz Ahmed Faiz, Mir Taqi Mir, Jaun Elia, Jigar Moradabadi, and Ahmad Faraz.
What are some famous lines from Shayari?
- Here are a few classic Shayari lines translated into English:
- “This sorrow is a gift of love, it will not go away so easily.” – Mirza Ghalib
- “We recognize life from afar, just by the sound of its footsteps.” – Ahmad Faraz
- “In love’s journey, why do you cry? Just wait and see what happens next.” – Mir Taqi Mir
- “No one ever gets a perfect world, either the sky is missing or the land is absent.” – Javed Akhtar
- “If loyalty is a crime, let us be guilty together.” – Faiz Ahmed Faiz
- What are the different types of Shayari?
Shayari is categorized into various themes, including:
- Ghazal – Short love verses
- Nazm – Free-verse poetry
- Rubaaiyat – Four-line poetry
- Qasida – A long eulogy or praise poetry
- Marsiya – Elegy for the departed
- How can I start writing Shayari?
- To begin writing Shayari:
Read works of famous poets to understand different styles.
- Choose a theme (love, sorrow, motivation, etc.).
- Maintain rhythm and rhyming schemes.
- Use simple yet deep metaphors and emotions.
Conclusion
Shayari is a beautiful and expressive form of poetry that has captivated hearts for centuries. From the timeless verses of Mirza Ghalib to the revolutionary words of Faiz Ahmed Faiz, Shayari continues to resonate with people across generations. Whether it speaks of love, pain, longing, or wisdom, its charm lies in its depth and simplicity.
For poetry lovers, exploring Shayari is an emotional journey filled with profound words and soulful meanings. Whether you are reading or writing it, Shayari remains a powerful way to express feelings and connect with others.