Ilzaam Shayari In Hindi

New 140+ Ilzaam Shayari In Hindi | किसी पर झूठा इल्जाम लगाना शायरी Ilzaam Shayari 2 Line | इलजाम शायरी के 2 लाइन

Ilzaam Shayari In Hindi: इल्ज़ाम शायरी उन भावनाओं को व्यक्त करती है जब कोई आप पर बेबुनियाद आरोप लगाता है, और आप चाहकर भी खुद को सही साबित नहीं कर पाते।

गलत इल्ज़ाम का दर्द वही समझ सकता है जिस पर यह लगाया जाता है। आप जानते हैं कि आरोप झूठा है, लेकिन उसे नकार पाने की असहायता दिल को तकलीफ देती है।

इसी भावना को शब्दों में पिरोकर हमने यह शायरी तैयार की है। इसे साझा करके आप अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं और सच सामने रख सकते हैं। तो चलिए, पढ़ते हैं Ilzaam Shayari In Hindi और इन लफ्ज़ों में अपनी भावनाओं को महसूस करते हैं।

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इल्ज़ाम बेबुनियाद था मगर दर्द हकीकत बन गया
हर बात पर इल्ज़ाम देना यही तेरा प्यार था
इल्ज़ाम तेरे लबों से निकला और मेरी जिंदगी वीरान हो गई
बेवजह के इल्ज़ाम सह लिए क्योंकि तुझे खोना नहीं चाहता था
तेरा इल्ज़ाम और मेरी खामोशी यही मेरी मोहब्बत की निशानी है
मैंने खुद को सही साबित किया पर तेरा इल्ज़ाम दिल पर रह गया
इल्ज़ाम भी उसी ने लगाया जो हमेशा बेगुनाही की कसम खाता था
मेरी मोहब्बत पर शक कर लिया और इल्ज़ाम भी मुझ पर ही आया
तेरा इल्ज़ाम सही था या गलत इसका फैसला वक्त करेगा
मैंने बेइंतहा चाहा तुझे और तूने इल्ज़ाम ही दिया
झूठे इल्ज़ाम की आग में मेरा प्यार जलकर राख हो गया
तेरा हर इल्ज़ाम सहा मैंने पर तेरा साथ कभी नहीं छोड़ा
दिल की गलियों में अब भी वही इल्ज़ाम गूंजता है
सच बोलने की सजा मिली और झूठे इल्ज़ाम ने दूर कर दिया
इल्ज़ामों के साए में जीना अब मेरी आदत बन गई है
किसी और की गलती थी पर इल्ज़ाम मुझ पर आया
तेरी बेरुखी से कम नहीं तेरा इल्ज़ाम मेरे लिए
इल्ज़ाम तो हर कोई देता है पर सबूत कोई नहीं लाता
मैंने मोहब्बत की थी और तुझे इल्ज़ाम देना पसंद आया
इल्ज़ाम की आंधी में मेरा प्यार कहीं खो गया

हंस कर सजाएं कबूल क्या कर ली मैंने
ज़माने ने तो हर इल्ज़ाम मुझ पर मढ़ने की रस्म बना ली

इल्ज़ाम देते हो मुझे बेवफ़ाई का
दिल तोड़ने की आदत तो तुम्हारी है

उदास जिंदगी उदास वक्त उदास मौसम
तेरे ना होने का इल्ज़ाम कितनी चीजों पर लगा है

दिल में जगह न होने का इल्ज़ाम मत दो
अगर वजह चाहिए तो बस कह दो कि हम बुरे हैं

सबको फिक्र है खुद को सही साबित करने की
जैसे जिंदगी कोई इल्ज़ाम हो

इल्ज़ाम मत दो मुझे मोहब्बत का
मैंने दिल से चाहा था निभाना तुम्हें नहीं आया

दिल की ख्वाहिश को नाम क्या दूं
प्यार को कोई पैगाम क्या दूं
दिल में दर्द नहीं बस तेरी यादें हैं
अब अगर यादें ही दर्द दें तो इल्ज़ाम किसे दूं

इल्ज़ाम इश्क़ का मुझ पर भी है
आशिकों में मेरा नाम भी आता है

वो वक्त भी अंजान था
अपने अंजाम से
लोगों की नाकामियों का
इल्ज़ाम लेकर गुजर गया

इल्ज़ाम तो हमेशा
कांटों पर ही आएगा
यही सोचकर फूल भी
खामोशी से जख्म दे जाते हैं

तुम्हें याद करना भी गुनाह है
इल्ज़ाम तो तुम्हारे प्यार में पड़ने का है

सबको फिक्र है खुद को सही साबित करने की
जैसे जिंदगी कोई इल्ज़ाम हो

अगर कोई इल्ज़ाम बाकी रह गया हो
तो वो भी दे दो
पहले भी बुरे थे
अब थोड़े और सही

इल्ज़ाम तुम्हारे ख्वाबों का नहीं
दिल की धड़कनों का है
जो तुमने थाम ली

लफ्ज़ों से इतना आशिकाना ठीक नहीं
कहीं किसी के दिल के पार हुए
तो इल्ज़ाम कत्ल का लगेगा

इल्ज़ाम तो कांटों पर ही आएगा
यही सोचकर फूल भी
चुपचाप जख्म दे जाते हैं

इल्ज़ाम मत लगाना किसी पर दोस्तों
मेरे दिल की धड़कन अब तुम्हारे नाम है

इल्ज़ाम तुम्हारे ख्वाबों में आने का है
दिल की हर धड़कन तुम्हारे नाम कर दी है

ये मिलावट का दौर है साहब
यहाँ इल्ज़ाम तारीफों के लिबास में छुपाए जाते हैं

हुस्न वालों की कोई खता नहीं होती
हम ही इल्ज़ाम लेकर फिरते हैं

इल्ज़ाम मत लगाना खुदा का डर रखो
तुम्हारे प्यार में खुद को आज़मा चुका हूँ

अगर कोई इल्ज़ाम बाकी रह गया हो
तो वो भी दे दो
पहले भी बुरे थे
अब थोड़े और सही

सबको फिक्र है खुद को सही साबित करने की
जैसे जिंदगी कोई इल्ज़ाम हो

इल्ज़ाम मत दो मुझे बेवफ़ाई का
दिल तोड़ने की आदत तुम्हारी है

वफ़ा मैंने नहीं छोड़ी, मुझे इल्ज़ाम मत देना
मेरा सबूत मेरे अश्क हैं, मेरा गवाह मेरा दर्द है

इल्ज़ाम मत लगाओ मुझे बेवफ़ाई का
मैंने तो दिल से चाहा था, निभाना तुम्हें नहीं आया

मेरी नजरों में झाँक लो, जमाने की बातों में मत जाओ
इश्क़ मासूम है, इल्ज़ाम लगाने से बचो

इल्ज़ाम देते हो मुझे बेवफ़ाई का
दिल तोड़ने की आदत तो तुम्हारी है

चिराग जलाने का सलीका सीखो साहब
हवाओं पर इल्ज़ाम लगाने से कुछ नहीं होगा

इल्ज़ाम मत दो मुझे मोहब्बत का
दिल तोड़ने का हुनर तुम्हारे पास है

तुम्हारी मोहब्बत का इल्ज़ाम नहीं है
मेरी बे-सदगी ही मेरी खता बन गई

इल्ज़ाम मत लगाओ मुझे मोहब्बत का
दिल तोड़ने का हुनर तो तुम्हारे पास है

दुनिया को मेरी हकीकत का पता नहीं
इल्ज़ाम हजारों हैं मगर खता कोई नहीं

ये मिलावट का दौर है साहब
यहाँ तारीफों के लिबास में इल्ज़ाम दिए जाते हैं

तूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई
अदालत भी तेरी थी, गवाह भी तू ही थी

इल्ज़ाम मत लगाना मुझे तुम्हारी मोहब्बत का
दिल तोड़ने का फन तो तुम्हारा है

जिसके लिए सब कुछ लुटा दिया हमने
वही कहता है कि भुला दिया हमने
गए थे आँसू पोछने उसके
और इल्ज़ाम मिला कि रुला दिया हमने

बस यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने
कि इल्ज़ाम झूठे ही सही, मगर लगाए तो तुमने हैं

तुम्हारी बेवफाई का इल्ज़ाम नहीं है
मेरी बे-सदगी ही मेरी खता बन गई

तुम्हारी मोहब्बत का कोई इल्ज़ाम नहीं है
बस मेरी खामोशी को ही मेरी खता कहा जाता है

हर इल्ज़ाम का हकदार हमें बना जाते हैं
हर खता की सजा हमें सुना जाते हैं
और हम खामोश रह जाते हैं
क्योंकि वो अपने होने का हक जता जाते हैं

तुम मेरे लिए कोई नया इल्ज़ाम मत ढूँढो
बस चाहा था तुम्हें, यही इल्ज़ाम काफी है

बेवफाई मैंने नहीं की, इल्ज़ाम मत देना
मेरा सुबूत मेरे अश्क हैं, मेरा गवाह मेरा दर्द है

हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का
कभी खुद से पूछा है, इतने हसीन क्यों हो?

खुद न छुपा सके वो अपना चेहरा नकाब में
बेवजह हमारी आँखों पर इल्ज़ाम लग गया

अब भी इल्ज़ाम-ए-मोहब्बत हमारे सिर पर है
अब तो उससे यारी भी नहीं रही

अधूरी हसरतों का इल्ज़ाम आज भी तुम पर है
अगर तुम चाहते तो यह मोहब्बत खत्म न होती

जानकर भी वो मुझे जान न सके
आज तक मेरी पहचान न कर सके
खुद ही कर ली बेवफाई हमने
ताकि उन पर कोई इल्ज़ाम न आए

तूने ही लगा दिया इल्ज़ाम-ए-बेवफाई
अदालत भी तेरी थी, गवाह भी तू ही थी

वफ़ा मैंने नहीं छोड़ी, इल्ज़ाम मत देना
मेरा सुबूत मेरे अश्क हैं, मेरा गवाह मेरा दर्द है

हर बार इल्ज़ाम हम पर लगाना सही नहीं
वफ़ा खुद से नहीं होती, खफा हम पर होते हो

बस यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने
कि इल्ज़ाम झूठे ही सही, मगर लगाए तो तुमने हैं

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हर इल्ज़ाम का हकदार हमें बना जाते हैं
हर खता की सजा हमें सुना जाते हैं
हम हर बार खामोश रह जाते हैं
क्योंकि वो अपना होने का हक जता जाते हैं

किसे इल्ज़ाम दूँ मैं अपनी बर्बाद ज़िंदगी का
वाकई मोहब्बत ही ज़िंदगी बदल देती है

मोहब्बत तो दिल से की थी, दिमाग उसने लगाया
दिल तोड़ दिया मेरा और इल्ज़ाम मुझ पर लगाया

अब भी इल्ज़ाम-ए-मोहब्बत हमारे सिर पर है
अब तो उससे यारी भी नहीं रही

दिल पर लगे इल्ज़ाम से पहचानते हैं
लोग अब मुझे तेरे नाम से पहचानते हैं

तू कहीं भी रहे, सिर पर तुम्हारे इल्ज़ाम तो हैं
तुम्हारी हथेलियों की लकीरों में मेरा नाम तो है

हुस्न वालों ने क्या कभी कोई ख़ता की?
हम ही हैं जो इल्ज़ाम लिए फिरते हैं

तुम मेरे लिए कोई नया इल्ज़ाम मत ढूँढो
चाहा था तुम्हें, यही इल्ज़ाम काफी है

हमारे हर सवाल का बस एक ही जवाब आया
पैगाम जब पहुँचा, बेवफ़ा का इल्ज़ाम आया

बेवफ़ा तो वो खुद हैं, इल्ज़ाम हमें देते हैं
पहले नाम था मेरा लबों पर, अब किसी और को चाहते हैं

इल्ज़ाम लगाने से सच नहीं बदलता
दिल पर क्या बीतती है, ये किसी से कहा नहीं जाता

करता हूँ तुमसे मोहब्बत, मरने पर इल्ज़ाम होगा
कफ़न हटाकर देखना, होठों पर तेरा नाम होगा

मेरे दिल की मजबूरी को इल्ज़ाम मत दो
मुझे याद रखना, भले ही मेरा नाम मत लो
ये तेरा वहम है कि मैंने भुला दिया तुझे
मेरी हर सांस में तेरा नाम बसता है

मेरी तबाही का इल्ज़ाम अब शराब पर है
मैं और करता भी क्या, जब तुम पर आ रही थी बात

झूठे इल्ज़ाम मत लगाया करो मेरी जान
दिल नाज़ुक है, इसे ऐसे ना दुखाया करो

मुझे इश्क़ है बस तुमसे, नाम बेवफ़ा मत देना
ग़ैर जानकर इल्ज़ाम बेवजह मत देना
जो दर्द दिया है तुमने, वो सह लेंगे मगर
किसी और को अपने प्यार की सज़ा मत देना

इल्ज़ाम जो तुमने दिए, साथ लिए फिरता हूँ सदा
खिताब जो मिले दुनिया से, अलमारी में कैद है

कोई इल्ज़ाम रह गया हो तो वो भी दे दो
पहले भी बुरे थे, अब थोड़ा और सही

Frequently Asked Question

What is Ilzaam Shayari?

Ilzaam Shayari refers to poetry that expresses emotions related to false accusations, betrayal, and misunderstandings. It portrays the pain of being wrongly blamed for something.

When can Ilzaam Shayari be used?

It can be used when someone falsely accuses you, in moments of heartbreak, misunderstandings in relationships, or when you want to express feelings of injustice.

What makes Ilzaam Shayari special?

This type of Shayari deeply connects with people who have faced false allegations, heartbreak, or betrayal. It captures emotions in just a few powerful lines.

Where can I find the best Ilzaam Shayari?

You can find a collection of Ilzaam Shayari in this post, on social media platforms, poetry websites, or through dedicated Shayari apps.

Can I share Ilzaam Shayari on social media?

Yes, Ilzaam Shayari is perfect for sharing on WhatsApp, Instagram, Facebook, and other platforms to express your emotions through poetry.

Conclusion

Ilzaam Shayari is a powerful way to express the emotions tied to false accusations, betrayal, and misunderstandings. Whether you’re dealing with a difficult situation in your personal life or simply want to convey the pain of being wrongly blamed, these heartfelt lines capture the essence of such experiences. The 140+ Ilzaam Shayari collection offers a wide variety of expressions to suit different moods and moments. These poetic lines not only provide comfort but also allow individuals to channel their emotions and share their stories with others. Whether you use them to reflect on your feelings or share them on social media, Ilzaam Shayari holds the power to connect with people and evoke deep emotions.

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